शैक्षिक मापन

शैक्षिक मापन (shakshik mapan) का अर्थ हुआ कि शिक्षा के क्षेत्र में मापन का प्रयोग करना। शिक्षा के क्षेत्र में मापन का प्रयोग करने का केवल यह तात्पर्य नहीं है कि शिक्षार्थी द्वारा परीक्षा में प्राप्त अंको के आधार पर शिक्षार्थी का मापन किया जाए अपितु शिक्षार्थी के अन्य पहलुओं का भी मापन होना आवश्यक है, अतः शैक्षिक मापन (shakshik mapan) का लक्ष्य शिक्षा के हर पहलू का मापन करना होना चाहिए ।

समय के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में मापन के अर्थ एवं प्रक्रिया में भी बदलाव आये हैं। शिक्षा के मापन में शिक्षार्थी द्वारा प्राप्त किये गए अंकों के अलावा शिक्षार्थी के व्यक्तित्व, रुचि, अभिवृद्धि, बुद्धि, अभिक्षमता एवं शैक्षिक उपलब्धियों आदि का मापन किया जाता है। हम कह सकते हैं कि शैक्षिक मापन (shakshik mapan) का क्षेत्र बहुत व्यापक है तथा इसके अंतर्गत शिक्षा से जुड़े हर पहलुओं का मापन किया जाता है तथा इस मापन के लिए निश्चित मानक, शब्दों, चिह्नों अथवा इकाई अंकों का प्रयोग किया जाता है।

मापन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Measurement)

मापन (measurement) का अर्थ हुआ किसी वस्तु या मनुष्य आदि के विभिन्न पहलुओं का मान प्राप्त करना। सामान्य शब्दों में हम किसी वस्तु या मनुष्य के भार लंबाई आदि को मापने के लिए गणितीय इकाइयों का प्रयोग करते हैं अर्थात अंको का प्रयोग करते हैं जिनके द्वारा हम उनका सही मान बता पाते हैं, इस प्रकार की क्रिया को मापन कहते हैं। उदाहरण के लिए किसी मनुष्य या वस्तु के भार को हम किलोग्राम में, लंबाई को मीटर में तथा किसी भी तरह के तरल पदार्थ के आयतन को लीटर में दर्शाते हैं। सामान्यतः हम सब यह जानते हैं कि मापन गणितीय अंकों के द्वारा किया जाता है परंतु वास्तव में मापन का क्षेत्र बहुत व्यापक है तथा इसमें न केवल गणितीय अंको का प्रयोग किया जाता है अपितु किसी वस्तु या मनुष्य के गुणों को दर्शाने के लिए चिह्न, शब्दों अथवा इकाई अंकों का भी प्रयोग किया जाता है।

किसी भी मनुष्य अथवा वस्तु के गुणों को मापने के लिए विधियों एवं यंत्रों का निर्माण किया जाता है जिसके द्वारा मापन की क्रिया के लिए सही विधि एवं यंत्र का प्रयोग होता है। शिक्षा के मापन (shakshik mapan) के लिए भी अलग-अलग विधियों एवं यंत्रों का निर्माण किया जाता रहा है जिसके द्वारा शैक्षिक मापन (shakshik mapan) की क्रिया में सहायता मिलती है तथा सही विधि के द्वारा मापन की क्रिया संपन्न होती है।

मापन का प्रयोग विश्व में हर क्षेत्र में होता है परंतु यहां हम मापन का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में करेंगे अर्थात शैक्षिक मापन (shakshik mapan) का क्या अर्थ है तथा इस क्षेत्र में किन-किन वैज्ञानिकों के द्वारा सहयोग दिया गया है इस पर चर्चा करेंगे और जानेंगे की शैक्षिक मापन (shakshik mapan) का प्रयोग कहां-कहां किस-किस प्रकार से होता है।

मापन की परिभाषा (Definition of Measurement)

स्टीवेंसन के अनुसार

“मापन किन्हीं स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है।”

कारलिंगर के अनुसार

“मापन नियमानुसार वस्तु या घटनाओं को संख्या प्रदान करता है।”

एस• एस• स्टीवेंस के अनुसार

“मापन कुछ निश्चित नियमों के अनुसार वस्तुओं को संख्या निर्दिष्ट करने की प्रक्रिया है।”

मापन के तत्व अथवा अंग (Elements and Organs of Measurement)

मापन के तत्व अथवा अंग के अंतर्गत वे सभी चीजें आती हैं जिनके सहयोग तथा प्रयोग के द्वारा मापन की क्रिया संपन्न होती है। मापन को मुख्यतः चार तत्वों अथवा अंगों में बांटा गया है जो कि निम्न हैं-

जिसका मापन करना है – मापन के अंगों के अंतर्गत सर्वप्रथम कोई वस्तु मनुष्य अथवा क्रिया आती है जिसकी किसी निश्चित विशेषता का हमें मापन करना होता है। वह वस्तु जैविक भी हो सकती है, अजैविक भी।

निश्चित विशेषता – वस्तु, मनुष्य अथवा क्रिया की वह विशेषता जिसका हमें मापन करना है।

उपकरण एवं विधि – किसी वस्तु, मनुष्य अथवा क्रिया की विशेषता को मापने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला उपकरण अथवा विधि।

मापनकर्ता – व्यक्ति विशेष जो किसी वस्तु मनुष्य अथवा क्रिया की विशेषता का मापन करता है उसे मापनकर्ता कहते हैं।

मापन के चर (variables of measurement)

मापन को मुख्यतः दो चरों में विभाजित किया जा सकता है –

१ – गुणात्मक चर, २ – मात्रात्मक चर

शैक्षिक मापन (shakshik mapan) के प्रकार

गुणात्मक चर एवं मात्रात्मक चर के आधार पर शैक्षिक मापन (shakshik mapan) की क्रिया को दो भागों में बांटा गया है- गुणात्मक मापन एवं मात्रात्मक मापन।

गुणात्मक मापन (Qualitative Measurement)

गुणात्मक मापन के नाम से ही पता चलता है कि किसी वस्तु, मनुष्य अथवा क्रिया के गुणों के आधार पर उसका मापन करना। किसी वस्तु, व्यक्ति या क्रिया के गुणों को केवल देखा और समझा जा सकता है। अतः इसे किसी निश्चित इकाई अंकों में नहीं मापा जा सकता। उदाहरण के लिए मनुष्य का व्यवहार, उसकी जाति, उसका रंग, उसका धर्म तथा उसका लिंग। यह कुछ ऐसे गुण है जिन्हें इकाई अंकों में नहीं दर्शाया जा सकता। अतः इनके मापन के लिए कुछ निश्चित मानदंड बनाए जाते हैं।

मात्रात्मक मापन (Quantitative Measurement)

मनुष्य के कुछ गुण ऐसे होते हैं जिन्हें परिमाण के आधार पर मापा जाता है। मात्रात्मक मापन के नाम से ही पता चलता है कि किसी वस्तु, मनुष्य अथवा क्रिया के गुणों के परिमाण के आधार पर उसका मापन करना। मात्रात्मक मापन में गुणों को इकाई अंकों के रूप में मापा जाता है।

गुणात्मक मापन एवं मात्रात्मक मापन में अंतर

मात्रात्मक मापन गुणात्मक मापन
 मात्रात्मक मापन का आधार शून्य होता है।  गुणात्मक मापन में शून्य का कोई स्थान नहीं होता।
 मात्रात्मक मापन का आधार सदैव इकाई अंक होता है।  गुणात्मक मापन का आधार सदैव मानदंड होता है।
 मात्रात्मक मापन में इकाई अंक सदैव सर्वमान्य होते हैं।  मानदंड प्रायः सर्वमान्य नहीं होते।
 मात्रात्मक मापन में किसी यंत्र पर समान इकाइयों का मान एवं परिमाण
समान होता है।
 गुणात्मक मापन में इकाइयां आपस में कभी समान नहीं होती।
 मात्रात्मक मापन के उदाहरण- किसी की लंबाई, किसी का भार, एक स्थान की दूसरे स्थान से दूरी आदि।  गुणात्मक मापन के उदाहरण- बुद्धि का परीक्षण, अभिवृद्धि का परीक्षण आदि।
मात्रात्मक मापन एवं गुणात्मक मापक में अंतर

 

उपसंहार

मापन का अर्थ बहुत व्यापक है तथा अगर हम शिक्षा के क्षेत्र के मापन की बात करें तो शैक्षिक मापन (shakshik mapan) अपने आप में एक व्यापक विषय है। शैक्षिक मापन के द्वारा शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा का मापन कर उसमें सुधार लाने का प्रयत्न किया जाता है।

शैक्षिक मापन (shakshik mapan) के द्वारा शिक्षार्थी के साथ-साथ शिक्षक का मापन भी किया जाता है। शैक्षिक मापन (shakshik mapan) के द्वारा शिक्षक के शिक्षण का मापन कर उसमें परिवर्तन लाए जाते हैं, जिससे शिक्षण प्रभावशाली और रुचिकर बन सके। शैक्षिक मापन के अंतर्गत मात्रात्मक एवं गुणात्मक, दोनों प्रकार के मापनों को समिल्लित किया जाता है।

 

 

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