रुचि (Interest)

सामान्यतः रुचि (Interest) शब्द का प्रयोग किसी व्यक्ति की पसंद से होता है। कोई व्यक्ति किस प्रकार के क्रियाकलाप, भोजन, वस्त्र आदि को पसंद करता है तथा इनकी ओर आकर्षित होता है, तो इसका तात्पर्य है कि वह व्यक्ति इन सब में रुचि रखता है। अतः यह कहा जा सकता है कि किसी कार्य को करने में किसी व्यक्ति को प्रसन्नता, उत्साह, संतुष्टि एवं जिज्ञासा हो तो इसका तात्पर्य यह है कि उसके प्रति उस व्यक्ति की रूचि है।

रुचि जिसे आंग्ल भाषा में इंटरेस्ट (Interest) कहते हैं लैटिन भाषा इंटरेस् (Interesse) से लिया गया है जिसका अर्थ है महत्वपूर्ण, लगाव या अंतर। परंतु यदि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो रुचि किसी व्यक्ति की मानसिक संरचना है जो उस व्यक्ति को अन्य वस्तुओं से या व्यक्तियों से जोड़ने का कार्य करती है।

रुचि (Interest) की परिभाषाएं

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा रुचि की निम्न परिभाषाएं दी गयी हैं-

जेम्स ड्रेवर के अनुसार,
“रुचि हमारे अनुभव का क्रियात्मक रूप है।”

क्रो एंड क्रो के अनुसार,
“रुचि एक प्रेरक शक्ति है जो किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती है।”

मैकडूगल के अनुसार,
“रुचि छिपा हुआ अवधान है और अवधान रुचि का क्रियात्मक रूप है।”

बिंघम के अनुसार,
“रुचि किसी अनुभव में विलीन होने एवं उसमें निरंतरता बनाए रखने की प्रवृत्ति है।”

गिलफोर्ड के अनुसार,
“रुचि किसी क्रिया, वस्तु अथवा व्यक्ति पर अवधान केंद्रित करने, उसके द्वारा आकर्षित होने, उसे पसंद करने और उससे संतुष्टि पाने की प्रवृत्ति है।”

रुचि (Interest) के पक्ष या पहलु

रुचि के मुख्य तीन पक्ष हैं –

ज्ञानात्मक– किसी चीज को जानना
भावात्मक– किसी चीज को अनुभव करना
क्रियात्मक– किसी कार्य की इच्छा करना

रुचि (Interest) की प्रकृति एवं विशेषताएं

रुचि (Interest) की प्रकृति एवं विशेषताएं निम्नलिखित हैं –

  1. रुचि सदैव सकारात्मक होती है।
  2. रुचि वंशानुक्रम एवं वातावरण का प्रभाव होती है।
  3. रुचि सदैव परिवर्तनशील होती है।
  4. रुचि व्यक्तिगत होती है।
  5. रुचि किसी व्यक्ति विशेष की मानसिक संरचना है।
  6. रुचियां विशिष्ट होती है।
  7. रुचि किसी व्यक्ति को अन्य व्यक्ति, वस्तु, क्रिया अथवा विचार से जोड़ती है।
  8. किसी व्यक्ति में रुचि का विकास जीवन पर्यंत चलता रहता है।
  9. किसी व्यक्ति के रुचि में परिवर्तन आते रहता है।
  10. रुचियां किसी व्यक्ति की आवश्यकता, लक्ष्य, आकांक्षा स्तर, योग्यता, क्षमता आदि पर निर्भर करती है।

रुचि (Interest) के प्रकार

मनोवैज्ञानिकों ने रुचि को मुख्यतः दो भागों में बांटा है –

  1. जन्मजात रुचियां-
    जन्म से व्यक्ति जिस वस्तु भोजन खेलकूद आदि की ओर आकर्षित होता है इस प्रकार की रुचि को जन्मजात रुचि कहा जाता है। जिस रुचि का संबंध मूल प्रवृत्ति से होता है खुश रुचि को जन्मजात रुचि कहा जाता है।
  2. अर्जित रुचियां-
    वह रुचियां जो व्यक्ति के सामाजिक एवं पर्यावरणीय कारकों के अनुसार उसमें विकसित होती हैं । इस प्रकार की रचना को अर्जित रुचियां कहा जाता है। जिन रोगियों का संबंध भाव संवेदना से होता है उन्हें अर्जित रुचि कहते हैं।
Interest

सुपर (1962) के अनुसार रुचि के 4 प्रकार हैं। क्राइस्ट ने सुपर के अनुसार रुचि के प्रकार का समर्थन किया।

  1. अभीव्यक्त रुचि- जिन रुचियों को शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया जाए उन्हें अभिव्यक्ति रुचि कहते हैं।
  2. प्रकट रुचि- किसी व्यक्ति के व्यवहार के आधार पर उसकी रूचि का अनुमान लगाना प्रकट रुचि कहलाता है।
  3. प्रपत्र अथवा आविष्कारक रुचि- किसी व्यक्ति की रुचि का पता प्रपत्र के अनुसार लगाना प्रपत्र रुचि कहलाता है।
  4. परीक्षित रुचि- उपलब्धि के आधार पर रुचि का पता लगाना।

रुचि (Interest) का मापन

रुचि के मापन के लिए विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अपने अपने स्तर से रूचि के परिक्षण बनाये जो निम्नवत हैं –

  • कर्नीगी तकनीकी संगठन– यह वह संगठन है जिसने 1914 में सर्वप्रथम रुचि का वैज्ञानिक मापन किया।
  • माइनर नाम के एक मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने सर्वप्रथम 1918 में व्यक्तिगत रूप से रूचि का मापन किया।
  • व्यवसायिक रुचि परीक्षण- रुचि के मापन के लिए स्ट्रांग ने 1927 में व्यवसायिक रुचि परीक्षण बनाया था।
  • कुडर अधिमान परीक्षण- यह परीक्षण को कुडर ने 1954 में दिया तथा इस परीक्षण के द्वारा रुचि का 10 क्षेत्रों में मापन किया जाता है।
  • माइसोटा रुचि परीक्षण- इस परीक्षण को 1965 में बनाया गया तथा इसमें 21 विभिन्न क्षेत्रों में रूचि का मापन किया जाता है।
  • जैकसन इंटरेस्ट सर्वे- इसके अंतर्गत 289 कथन होते हैं जिसकी सहायता से रूचि का पता लगाया जाता है।

इनके अलावा थस्टर्न (1953), हेपनर तथा क्लीटन ने व्यवसायिक रुचि परीक्षण में योगदान दिया।

उपसंहार

रुचि व्यक्ति में जन्म से लेकर मृत्यु तक विद्यमान रहती है। कई मनोवैज्ञानिकों ने रुचि के ऊपर अपने मत दिये तथा बताया कि रुचि दो प्रकार की होती है जिनमें से एक जन्मजात तथा दूसरी अर्जित रुचि होती है। किसी व्यक्ति की रुचि में उसके वंश एवं वातावरण का प्रभाव पड़ता है।

किसी व्यक्ति विशेष को कोई चीज पसंद है या वह कोई कार्य करना चाहता है या उसकी कुछ खाने की इच्छा कर रही है यह सब उसकी रुचि पर निर्भर करता है। यदि कोई व्यक्ति विशेष किसी वस्तु या किसी भी चीज के प्रति आकर्षित होता है तो वह उसकी रूचि पर निर्भर करता है। किसी व्यक्ति की रूचि उसकी मानसिक संरचना के बारे में बताती है।

 

 

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