प्रत्यक्षीकरण (Perception)- प्रत्यक्षीकरण का अर्थ

प्रत्यक्षीकरण का अर्थ समझने के लिए सर्वप्रथम हमें सवेंदना को समझाना आवश्यक है। संवेदना के बाद की प्रक्रिया को प्रत्यक्षीकरण कहते हैं। जब भी मनुष्य के मस्तिष्क में किसी वस्तु, व्यक्ति या क्रिया के प्रति संवेदना उत्पन्न होती है तो मनुष्य के मस्तिष्क में उस वस्तु, व्यक्ति या क्रिया से संबंधित पूर्व अनुभव जागृत होता है तथा उस पूर्व अनुभव के आधार पर मस्तिष्क उसे एक अर्थपूर्ण रूप में स्वीकारता है। इसे प्रत्यक्षीकरण कहते हैं।

प्रत्यक्षीकरण की परिभाषाएं
  • कोलिन्स एवं ड्रेवर के अनुसार,
    “प्रत्यक्षीकरण किसी वस्तु का तात्कालिक ज्ञान है या संवेदना द्वारा सभी ज्ञानेंद्रियों का ज्ञान है।”
  • मैकडूगल के अनुसार,
    “उपस्थित वस्तुओं के विषय में सोचना ही प्रत्यक्षीकरण करना है। एक वस्तु तभी तक उपस्थित कही जाती है जब तक कि उस से आने वाली उत्तेजना हमारी ज्ञानेंद्रियों को प्रभावित करती रहती है।”
  • रायबर्न के अनुसार,
    “अनुभव के अनुसार संवेदना की व्याख्या की प्रक्रिया को प्रत्यक्षीकरण कहते हैं।”
  • एटकिंसन और हिलगार्ड के अनुसार,
    “प्रत्यक्षीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम पर्यावरण में उपस्थित उद्दीपकों की व्याख्या करते हैं तथा उन्हें संगठित करते हैं।”
प्रत्यक्षीकरण की प्रक्रिया– प्रत्यक्षीकरण का अर्थ

प्रत्यक्षीकरण की प्रक्रिया के लिए सर्वप्रथम उद्दीपक का उपस्थित होना आवश्यक है। उस उद्दीपक के प्रति हमारे ज्ञानेंद्रियों का उत्तेजित होना आवश्यक है। ज्ञानेंद्रियों के उत्तेजित होने से स्नायु प्रवाह या विक्षोभ उत्पन्न होता है। यह विक्षोभ ज्ञान वाहक नाड़ियों द्वारा मस्तिष्क में स्थित ज्ञान केंद्र में पहुंचता है। इसके पश्चात मस्तिष्क में एक विशेष क्रिया होती है जिसके फलस्वरूप संवेदना का अनुभव होता है। संवेदना के अनुभव के पश्चात जब मनुष्य उस संवेदना को पूर्व अनुभव से जोड़ता है तो इस स्थिति को प्रत्यक्षीकरण की स्थिति कहते हैं। ( प्रत्यक्षीकरण का अर्थ )

प्रत्यक्षीकरण में सम्मिलित प्रक्रियाएं

प्रत्यक्षीकरण में सम्मिलित प्रक्रियाएं निम्न हैं-

  • ग्राहक प्रक्रिया-
  • यहां ग्राहक का तात्पर्य मनुष्य की ज्ञानेंद्रियों से है। इस प्रक्रिया में जब कोई उद्दीपक मनुष्य के संपर्क में आता है तो उस उद्दीपक से संबंधित ज्ञानेंद्रि जागृत हो जाती है तथा उस उद्दीपक से संबंधित सूचना को मस्तिष्क में पहुंचती है जिससे उस मनुष्य को उस उद्दीपक का प्रत्यक्षीकरण होता है।
  • प्रतीकात्मक प्रक्रिया-
  • प्रतीकात्मक प्रक्रिया के नाम से ही बोध होता है कि किसी उद्दीपक के किसी लक्षण का प्रयोग में आना। मनुष्य के द्वारा किसी उद्दीपक से प्राप्त पूर्व अनुभव उनके मस्तिष्क में प्रतीकों के रूप में उपस्थित रहते हैं। जब मनुष्य किसी उद्दीपक के संपर्क में आता है तो उद्दीपक से संबंधित पूर्व अनुभव के प्रतीक सजग हो जाते हैं। इस प्रकार की प्रक्रिया को प्रतीकात्मक प्रक्रिया कहते हैं।
  • भावात्मक प्रतिक्रिया-
  • किसी भी उद्दीपक के संपर्क में आते ही व्यक्ति का उसके प्रति भाव उत्पन्न होता है। किसी उद्दीपक के संपर्क में आने से सुख, दुख, दर्द, चिड़चिड़ापन, गुस्सा आदि प्रकार के भाव उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार की प्रक्रिया को भावात्मक प्रक्रिया कहते हैं।
  • एकीकरण की प्रक्रिया-
  • एकीकरण का तात्पर्य एक करने से है। किसी उद्दीपक के संपर्क में आने से व्यक्ति उसके रंग-रूप, आकार, गंध आदि का आभास करता है। इस प्रकार किसी एक उद्दीपक के लिए विभिन्न ज्ञानेंद्रियां कार्य करती हैं। यह सारी ज्ञानेंद्रियां मस्तिष्क में जाकर विभिन्न संवेदनाएं उत्पन्न करती हैं। परंतु प्रत्यक्षीकरण में इन सब संवेदना का एकीकरण हो जाता है। इस प्रकार की प्रक्रिया को एकीकरण की प्रक्रिया कहते हैं।
  • विभेदीकरण की प्रक्रिया-
  • जब मनुष्य के समक्ष एक साथ कई उद्दीपक आते हैं तो अपनी ज्ञानेंद्रियों के द्वारा मस्तिष्क में उत्पन्न संवेदनाओं का प्रत्यक्षीकरण कर उन उद्दीपकों में विभेद उत्पन्न कर लेता है। इस प्रकार की प्रक्रिया को विभेदीकरण की प्रक्रिया कहते हैं।
प्रत्यक्षीकरण की विशेषताएं

प्रत्यक्षीकरण की विशेषताएं निम्न है-

  • प्रत्यक्षीकरण स्पष्ट होती है।
  • प्रत्यक्षीकरण अर्थपूर्ण होता है।
  • प्रत्यक्षीकरण उच्च मानसिक क्रिया है।
  • प्रत्यक्षीकरण विभेदीकरण में सहायक होता है।
  • प्रत्यक्षीकरण पूर्व अनुभव से संबंधित होता है।
  • प्रत्यक्षीकरण संवेदना कि उत्तरवर्ती अवस्था है।
  • प्रत्यक्षीकरण में पूर्ण की अनुभूति होती है।
उपसंहार

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों के अनुसार पर्यावरण में उपस्थित विभिन्न वस्तुएं, क्रियाएं आदि मनुष्य के लिए उद्दीपक का कार्य करती है तथा इन उद्दीपकों के प्रति मनुष्य की जो पहली अनुक्रिया होती है उसे संवेदना कहते हैं। संवेदना के बाद की अवस्था को प्रत्यक्षीकरण कहते हैं। प्रत्यक्षीकरण संवेदना के पूर्व अनुभव पर आधारित होती है। प्रत्यक्षीकरण के अंतर्गत हम किसी उद्दीपक का पूर्ण रूप में अनुभव करते हैं। प्रत्यक्षीकरण एक उच्च मानसिक प्रक्रिया है जिसकी सहायता से हम विभिन्न उद्दीपक के मध्य विभेदीकरण कर सकते हैं। प्रत्यक्षीकरण का अर्थ

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