कोहलर का सूझ का सिद्धांत (Insight Theory)

सीखने के सूझ के सिद्धांत (Insight Theory) का प्रतिपादन गेस्टाल्ट मनोवैज्ञानिक वर्दीमरकोहलर और कोफ्का ने किया। सूझ के सिद्धांत (Insight Theory) को अवयवि सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है। वर्दीमर, कोहलर और कोफ्का को गेस्टाल्टवादी मनोवैज्ञानिक के नाम से भी जाना जाता है।

गेस्टाल्ट जर्मनी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है पूर्ण आकार या समग्राकृती, अर्थात पूरी समस्या को एक साथ देखना न कि उसे तोड़-तोड़ कर देखना। गेस्टाल्टवाद के प्रतिपादक वर्दीमर थे।

वर्दीमर, कोहलर और कोफ्का का मत था कि संपूर्ण उससे थोड़ा भिन्न होता है जो उसके अंशों से मिलकर बनाता है। इस प्रकार का सिद्धांत जहां लागू होता है उसे गेस्टाल्ट सिद्धांत या समाग्रति सिद्धांत कहते हैं।

कोहलर (21 जनवरी 1887 – 11 जून 1967) एक जर्मन मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने समग्राकृति सिद्धांत को बनाने में अपना मूल्यवान योगदान दिया। कोहलर ने अपनी पुस्तक समग्राकृति मनोविज्ञान (Gestalt Psychology) में अंतर्दर्शन की अवधारणा की आलोचना की थी।

कोहलर के प्रयोग (Insight Theory)

कोहलर ने अपने कई प्रयोग वनमानुषों पर किये। कोहलर के वनमनुषों में सबसे अधिक बुद्धिमान वनमानुष का नाम सुल्तान था। कोहलर के प्रयोग में से निम्न दो प्रयोग मुख्य हैं।

  1. छड़ी का प्रयोग
  2. बक्स का प्रयोग

छड़ी का प्रयोग

कोहलर ने अपने प्रयोगों में से एक प्रयोग में सुल्तान को एक कटघरे के अंदर बंद कर दिया। कटघरे के अंदर मात्र दो छड़ें थी तथा उन छड़ों की बनावट इस प्रकार थी कि दोनों छड़ों को आराम से जोड़ा जा सके। कटघरे के बाहर कुछ दूरी पर केले रख दिए गए। सुल्तान ने कटघरे से केले प्राप्त करने के प्रयास किए तथा असफल रहा।

सुल्तान ने स्थिति का अवलोकन किया तथा कटघरे में उपस्थित दो छड़ों में से एक छड़ का प्रयोग कर पुनः केले प्राप्त करने का प्रयास किया किंतु छड़ के छोटे होने के कारण सुल्तान पुनः केले प्राप्त करने में असफल रहा। सुल्तान ने कुछ देर रुक कर पुनः पूर्ण स्थिति का अवलोकन किया तथा कटघरे में पड़ी दूसरी छड़ को उठाकर दोनों छडों को आपस में जोड़ दिया जिससे एक लंबी छड़ तैयार हो गई। इस छड़ का प्रयोग कर सुल्तान ने केलों को अपनी ओर खींच लिया तथा उन्हें खा लिया।

बक्स का प्रयोग

अपने दूसरे प्रयोग में कोहलर ने सुल्तान को एक ऐसे कमरे के अंदर बंद कर दिया जिसकी छत में लगे हुक पर केले लटके हुए थे तथा फर्श पर इधर-उधर भिन्न-भिन्न आकार के तीन लकड़ी के बॉक्स पड़े हुए थे। स्थिति का अध्ययन करने हेतु कोहलर ने कमरे में उपस्थित खिड़की का प्रयोग किया तथा खिड़की से सुल्तान के प्रयासों का अध्ययन किया। सर्वप्रथम सुल्तान ने कूद कर केले प्राप्त करने का प्रयास किया किंतु केले की ऊंचाई अधिक होने के कारण सुल्तान केले प्राप्त करने में असफल रहा। असफल होने पर सुल्तान ने कमरे में इधर-उधर देखा और एक बक्सा उठाकर उस स्थान पर रख दिया जिसके ऊपर केले लटके हुए थे।

अब उसने बक्से के ऊपर चढ़कर केले प्राप्त करने का प्रयास किया किंतु वह पुनः असफल रहा। अब फिर से सुल्तान ने कमरे में इधर-उधर देखा और दूसरे बक्से को उठाकर लाया और पहले बक्से के ऊपर रखा तथा इनके ऊपर चढ़कर पुनः केले प्राप्त करने का प्रयास किया किंतु इस बार फिर से वह असफल रहा।

अब कुछ देर रुक कर सुल्तान ने पूर्ण स्थिति का अवलोकन किया तथा कमरे में उपस्थित तीसरे बक्से को उठाकर ले आया और पहले दो बॉक्सों के ऊपर रख दिया। अब उसने पुनः केले प्राप्त करने के लिए बक्से पर चढ़ने का प्रयास किया किंतु इस बार वह बक्सों पर चढ़ने में असफल रहा। अब उसने पुनः पूर्ण स्थिति का अवलोकन किया और कुछ देर बाद बक्सों को छोटे बड़े के क्रम में लगाकर उन पर चढ़ गया और केले प्राप्त कर उन्हें खा लिया।

Insight Theory

कोहलर ने कुछ दिन पश्चात सुल्तान पर इस प्रयोग को पुनः किया तथा देखा कि इस बार सुल्तान ने पूर्ण स्थिति का अवलोकन कर पहले बॉक्स के ऊपर दूसरा, दूसरे के ऊपर तीसरा रखकर केले प्राप्त कर लिए और उन्हें खा लिया।

कोहलर ने कुछ दिन पश्चात पुनः सुल्तान को कमरे में बंद किया किंतु इस बार तीन बक्सों के स्थान पर एक ऊंची मेज रख कर इस प्रयोग को दोहराया। इस बार कोहलर ने देखा की सुल्तान ने पहली नजर में ही स्थिति को समझ लिया और मेज को हुक के नीचे रखकर उस पर चढ़कर केले प्राप्त कर लिए और उन्हें खा लिया।

कोहलर के इस प्रयोग में सुल्तान ने स्थिति का पूर्ण रूप से प्रत्यक्षीकरण किया था इसलिए कोहलर ने इसे समग्राकृति सिद्धांत कहा तथा इस प्रयोग में सुल्तान ने परिस्थिति के अनुसार केले प्राप्त करने के लिए अपनी सूझ का इस्तेमाल किया इसलिए से सूझ का सिद्धांत (Insight Theory) भी कहते हैं।

कोहलर के निष्कर्ष

कोहलर ने अपने इन प्रयोगों (Insight Theory) से कुछ निष्कर्ष निकाले जो निम्नवत हैं।

  1. सीखने के लिए अंतर्दृष्टि का प्रयोग किया जाता है।
  2. सीखने वाला नई वस्तु क्रिया अथवा स्थिति का प्रत्यक्षीकरण उसके संपूर्ण रूप में करता है।
  3. यदि मनुष्य किसी समस्या का समाधान करने पर पहली बार में सफल नहीं होता तो वह पुनः सोचता है, दूसरी बार भी समस्या का समाधान नहीं मिलने पर वह पुनः सोचता है इस प्रकार वह सोचते-सोचते समस्या का समाधान कर लेता है।
  4. किसी प्रकार की समस्या का समाधान एक बार के प्रयास में भी हो सकता है और कई बार के प्रयास में भी हो सकता है।

सूझ के सिद्धांत (Insight Theory) की विशेषताएं

सूझ के सिद्धांत (Insight Theory) की निम्नलिखित विशेषताएं हैं

  1. कोहलर ने अपना प्रयोग वनमानुष पर किया था जिसके बाद सूझ के सिद्धांत (Insight Theory) को प्रतिपादित किया गया। वनमानुष के पास थोड़ा दिमाग होता है और वह सूझ के साथ काम करता है अतः हम यह कह सकते हैं की कोहलर का प्रयोग मनुष्य के सीखने की प्रक्रिया की सही व्याख्या करता है।
  2. कोहलर का सूझ का सिद्धांत (Insight Theory) किसी भी वस्तु, स्थिति एवं क्रिया के पूर्ण रूप में प्रत्यक्षीकरण पर बल देता है।
  3. यह सिद्धांत समस्या के समाधान पर बल देता है।
  4. यह सिद्धांत पूर्ण से अंश की ओर चलने पर बल देता है।
  5. सूझ का सिद्धांत दिमाग से संबंधित है। जिसका दिमाग इतना तेज होगा वह उतनी जल्दी सूझ का निर्माण कर सकेगा।

 

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