मापन (Measurement)

मापन छात्रों के सीखने का आकलन करने, शिक्षण प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने और शैक्षिक नीति और निर्णय लेने की क्षमता की जानकारी प्राप्त करने के लिए एक आधारशिला के रूप में कार्य करता है। मापन ने  शिक्षा में, शिक्षण पद्धतियों को उचित आकार प्रदान करने, छात्रों की प्रगति का आकलन करने और शैक्षिक नीति को अधिक उपयोगी बनाने  में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

छात्र उपलब्धि और प्रगति पर वस्तुनिष्ठ सूचना प्रदान करके, मापन शिक्षकों को छात्रों की अधिगम में आने वाली समस्याओं या कठिनाइयों  का निदान करने, छात्र विकास की जानकारी प्राप्त करने, अपने शिक्षण कौशल में आवश्यकता अनुसार सुधार करने और व्यक्तिगत शिक्षण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान करता है जिससे शिक्षक अपने शिक्षण कौशल में छात्रों की क्षमता अनुसार सुधार करने में स्वयं को सक्षम बनाता है, इसके अतिरिक्त मापन शिक्षकों और छात्रों को भी उनके कार्यो के लिए जबाबदेह बनाता है।

मापन शिक्षा का अभिन्न अंग है, जो शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया, छात्रों की प्रगति और उनका मूल्यांकन, पाठ्यक्रम विकास, शिक्षा में अनुसंधान और नीति निर्माण के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है और शैक्षिक गुणवत्ता और समानता के समग्र सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देता है। 

मापन का अर्थ (Meaning of Measurement)

मापन किसी चीज़ की सीमा, आयाम, मात्रा या क्षमता को मापने या निर्धारित करने की एक प्रक्रिया है। इसमें किसी वस्तु, पदार्थ,  या घटना के आकार, मात्रा या डिग्री को व्यक्त करने के लिए मानकीकृत इकाइयों का उपयोग करना शामिल है।

जब भी हम किसी घटना, व्यक्ति या वस्तु की किसी भी विशेषता  को माप कर उसको अंक प्रदान करते है तो इस प्रक्रिया को मापन कहते है। जैसे मनोज ने गणित में 10 अंक प्राप्त किये, ये मनोज के गणित विषय से सम्बंधित ज्ञान का मापन है।

अन्य उदाहरण- राम का वजन 50 किग्रा है। रोहित की उम्र 10 वर्ष है आदि।
शिक्षा में, मापन का तात्पर्य छात्रों के ज्ञान, कौशल, क्षमताओं और प्रदर्शन का आकलन करने की व्यवस्थित प्रक्रिया से है। इसमें  छात्रों से सम्बंधित डेटा (सूचना) एकत्र करने और छात्रों की प्रगति और उपलब्धियों का मूल्यांकन करने के लिए परीक्षण, क्विज़, परीक्षा, प्रोजेक्ट और अवलोकन जैसे विभिन्न उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करना शामिल है।

 

मापन की परिभाषाएं  (Definitions of Measurement)

  • “मापन किन्ही निश्चित स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं को अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है।” –एस० एस० स्टीवेन्स

 

  • “मापन को एक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें किसी व्यक्ति या पदार्थ में निहित विशेषताओं का आंकिक वर्णन होता है।” –हैल्मस्टेडटर

 

  • “मापन वस्तुओं या घटनाओं तर्कपूर्ण ढंग से संख्या प्रदान करने की क्रिया है।” –गिलफोर्ड
  • “मापन किसी वस्तु अथवा क्रिया के भिन्न-भिन्न गुणों को चिह्न विशेषों में प्रकट करने की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा यथा वस्तु अथवा क्रिया के यथा गुणों को संक्षिप्त से संक्षिप्त रूप में प्रकट किया जाता है।” -ब्रेडफील्ड

मापन के अंग (Organs of Measurement)

किसी भी मापन की प्रक्रिया में मुख्यतः चार अंग होते है जो निम्नलिखित है-

  1. वह व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना जिसका मापन किया जाना है।
  2. व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना की वह विशेषता जिसका मापन किया जाना है।
  3. वह व्यक्ति जो मापन करेगा अर्थात मापनकर्ता
  4. वह उपकरण या टूल जिसके माध्यम से मापन हेतु सूचना एकत्र की जाएगी।
    इस प्रकार मापन की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए इन चारों अंगों का होना आवश्यक है।

मापन का उद्देश्य  ( Objectives of Measurement)

मापन एक बहुउद्देश्यीय प्रक्रिया है जिसके सही उपयोग से हम छात्रों को सही मार्गदर्शन प्रदान कर उनके जीवन को सफल और उपयोगी बना सकते है। मापन के कुछ मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं-

  1. चयन का उद्देश्य- स्कूलों, मेडिकल कॉलेजों, इंजीनियरिंग कॉलेजों, सेना, नौकरी और उद्योगों में सही व्यक्ति के चयन में मापन का उपयोग किया जाता है। परीक्षणों का उपयोग कुछ लोगों को उनकी बुद्धिमत्ता, कौशल और उपलब्धियों के आधार पर चुनने के लिए किया जाता है। कई नौकरियों में कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए उनकी क्षमताओं, चरित्र और धैर्य का आकलन करने के लिए साक्षात्कार और मूल्यांकन का उपयोग किया जाता है। स्कूल में छात्रों के एक किसी विषय के चयन हेतु भी छात्र की उस विषय के अंक को ध्यान में रखा जाता है।
  2. पूर्वकथन संबंधित उद्देश्य- पूर्व कथन से तात्पर्य किसी भी छात्र के वतर्मान की उपलब्धि के आधार पर उंसके भविष्य के लिए भविष्यवाणी करने से है। मापन का उद्देश्य छात्र की वर्तमान उपलब्धि के आधार पर वो किस क्षेत्र विशेष में अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है इस संबंध में भविष्यवाणी या पूर्वकथन से है। अतः मापन के द्वारा छात्र के भविष्य के सम्बंध में पूर्व कथन किया जा सकता है।
  3. तुलनात्मक उद्देश्य- जैसा कि हम इस सभी इस तथ्य से भली भांति परिचित है कि कोई भी दो छात्र सामन नही होते उनमे व्यक्तिगत विभिन्नता पाई जाती है जिस कारण हर छात्र दूसरे छात्र से बुद्धि मे, ग्रहण करने की क्षमता में, स्मृति आदि में भिन्न होता है। इसी लिए सभी छात्रों का मूल्यांकन समान विधि से नही किया जा सकता है। मापन की सहायता से हम दो छात्रों में या किसी भी छात्र को उंसके आयु वर्ग के अन्य छात्रों के समूह के औसत से तुलना करके उसके संबंध में उचित निर्णय ले उसे सही मार्गदर्शन प्रदान कर सकते है। अतः मापन का एक उद्देश्य छात्रों की उपलब्धि का तुलनात्मक अध्धयन करना भी है।
  4. निदानात्मक उद्देश्य- निदान से तात्पर्य किसी समस्या या कमजोरी का पता लगाने से है, जैसे डॉक्टर मरीज की बीमारी का पता लगाकर फिर उसका सही दिशा में उपचार करता है। ठीक उसी प्रकार मापन के द्वारा कम अंक आने पर छात्र की किसी विषय विशेष की कमजोरी का पता चलता है फिर निदानात्मक परीक्षण के माध्यम से उस कमजोरी का सही से निदान कर उसको दूर करने के उपाय किया जाते है। इसलिये निदान करना भी मापन का एक उद्देश्य है।
  5. वर्गीकरण का उद्देश्य- छात्रों में उपलब्धि के आधार पर या या उनकी बुद्धि, अभियोग्यता, अभिरुचि तथा रुचि के आधार पर उन्हें वर्गीकृत किया जाता है जिससे उनकी प्रतिभा के साथ न्याय हो सके। मापन ही वर्गीकरण के लिए आधार प्रस्तुत करता है। जिस भी विशेषता के आधार पर वर्गीकरण किया जाना है उसका शुद्धता से मापन होना आवश्यक होता है अन्यथा जिस उद्देश्य से वर्गीकरण किया जा रहा है वो उद्देश्य प्राप्त नही हो पाते है।
  6. शोध संबंधित उद्देश्य- मापन का प्रयोग शोध परीक्षणों मे बहुत ही व्यापक रूप से किया जाता है। शोध में सूचना को एकत्र करके उसका विश्लेषण किया जाता था तत्पश्चात उसका मापन करके उसको उचित अर्थ प्रदान किया जाता है। मापन शोध का एक अभिन्न अंग है जिसके बिना कोई भी शोध कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न नही किया जा सकता है।

निष्कर्ष  (Conclusion)

इस प्रकार कहा जा सकता है कि मापन जीवन के हर क्षेत्र से संबंधित है और हम दिन प्रतिदिन किसी न किसी विशेषता का मापन करते ही है। शिक्षा में मापन के विशेष उद्देश्य होता है, छात्र को अपने स्कूली जीवन में हर क्षण मापन की प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है। यदि मापन की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण हो तो इसका सकारात्मक के स्थान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जो छात्र के भावात्मक पक्ष को हानि पहुँचा सकता है। मापन से प्राप्त अंक को अर्थ प्रदान करते समय हमें बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। 

 

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