क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research)

क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) के नाम से ही पता लगता है कि इसके अंदर कोई क्रिया की जानी है। क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कर्ट लेविन ने किया। इन्होंने इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन 1934 में किया। इन्होंने इस शब्द (क्रियात्मक अनुसंधान) का प्रयोग समाज के लोगों या कारखानों में काम करने वाले मजदूरों पर किया था। इन्हें सामाजिक मनोविज्ञान का जनक कहा जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग स्टीफन एम. कोरे ने किया था। इन्होंने इस शब्द का प्रयोग 1951 में किया।

क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) का परिचय

मौलिक अनुसंधान की सीमितता को देखते हुए शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसन्धान को शुरू किया गया। क्रियात्मक अनुसंधान का संबंध शिक्षा के क्षेत्र से है। ऐसे अनुसंधान का प्रयोग शिक्षक, शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशासन द्वारा किया जाता है। इस प्रकार का अनुसंधान शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए किया जाता है। यह एक तात्कालिक अनुसंधान है जिसमें समस्या की पहचान कर समस्या के समाधान के लिए उसके निदान ढूंढते हैं। क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) में शोधकर्ता के स्थान में शिक्षक, प्रोफेसर या प्रंबंधक हो सकते हैं।

क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) की परिभाषाएं

क्रियात्मक अनुसंधान के बारे में कई शिक्षाशास्त्रीयों, मनोवैज्ञानिकों एवं विद्वानों ने परिभाषाएं दी हैं जो की इस प्रकार हैं-

कर्ट लेविन के अनुसार,

“जिस संदर्भ या क्षेत्र में समस्या उत्पन्न होती है उसी संदर्भ या क्षेत्र में उस समस्या का समाधान किया जाए तो हम शीघ्र और बेहतर तरीके से समस्या का निदान कर पाएंगे।”

स्टीफन एम. कोरे के अनुसार,

“वह प्रक्रिया जिसके द्वारा अभ्यासकर्ता अपनी समस्याओं का वैज्ञानिक विधियों से अध्ययन करने का प्रयास करते हैं जिससे अपने निर्णयों और कार्यों का मार्गदर्शन, सुधार और मूल्यांकन किया जा सके, उन्हें क्रियात्मक अनुसंधान कहा जाता है।”

मैकग्राथ और अन्य के अनुसार,

“क्रियात्मक अनुसंधान संगठित अन्वेषणात्मक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य अध्ययन करना व रचनात्मक परिवर्तन लाना होता है, उन्हीं व्यक्तियों व समूह के द्वारा जो कुछ परिवर्तन को सुधार से संबंधित है।”

सी. वी. गुड के अनुसार,

“अपने निर्णयों व कार्यों की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों व प्रशासकों द्वारा प्रयुक्त शोध क्रियात्मक अनुसंधान कहलाता है।”

क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) की प्रक्रिया –

हैरोल्ड एंडर्सन ने अपनी पुस्तक “An introduction to projective techniques” (1951) में क्रियात्मक अनुसंधान के 8 चरण बताए हैं। हैरोल्ड एंडर्सन के अनुसार क्रियात्मक अनुसंधान 8 चरणों में संपन्न होती है।

क्रियात्मक अनुसंधान के सोपान हैरोल्ड एंडर्सन के अनुसार-

  1. समस्या का चयन –
    सर्वप्रथम इसमें शिक्षण अधिगम या शिक्षा के क्षेत्र में उत्पन्न समस्याओं का पता लगाया जाता है।
  2. समस्या को परिभाषित करना –
    जब समस्या का पता लग जाता है तो उस समस्या को परिभाषित किया जाता है। समस्या क्यों उत्पन्न हुई और उसके कारण क्या हैं।
  3. अनुसंधान प्रस्ताव के उद्देश्य का निर्माण करना-
    समस्या की जानकारी प्राप्त कर एवं उस को परिभाषित कर हम उसके निवारण के लिए उद्देश्यों का चयन करते हैं।
  4. क्रियात्मक परिकल्पना तैयार करना-
    क्रियात्मक परिकल्पना के अंतर्गत हम परिकल्पना करते हैं कि चयनित समस्या के निम्न कारण हो सकते हैं तथा उसका इस प्रकार से निवारण होगा।
  5. अभिकल्प निर्माण एवं उपकरणों का विकास करना-
    इसके अंतर्गत हम उत्पन्न समस्या के कारण के निवारण से संबंधित आंकड़ों का संग्रहण करेंगे।
  6. योजना का क्रियान्वयन –
    हमने समस्या के निवारण के लिए जिस योजना को बनाया उसे लागू किया जाएगा।
  7. प्रदत्त का विश्लेषण कर निष्कर्ष निकालना –
    इसके अंतर्गत हम समस्या के समाधानों का निष्कर्ष निकाल उनमें से सटीक समाधान का चुनाव करेंगे।
  8. अनुसंधान प्रतिवेदन तैयार करना –
    अंत में हम इसकी आख्या प्रस्तुत करेंगे।

क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) की विशेषताएं

क्रियात्मक अनुसंधान की विशेषताएं निम्न है-

  1. यह व्यवहारिक समस्या केेेेेे समाधान करने में सहायक है।
  2. त्वरित चिंताजनक समस्या के ऊपर यह केंद्रित होता है।
  3. यह रचनात्मक प्रतिक्रिया देता है जैसे उद्देश्य और प्रणाली में खुला परिवर्तन होना।
  4. प्रोग्राम का क्रियान्वयन एवं अंतिम मूल्यांकन
  5. यह अध्यापकों शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशासन द्वारा की जाती है।
  6. क्रियात्मक अनुसंधान में क्रियात्मक उपकल्पना ओं का निर्माण समस्याओं के कारणों पर आधारित है।
  7. जहां समस्या उत्पन्न हुई है वही उसका निवारण करना।
  8. समस्या का तत्काल समाधान निकलता है।
  9. इसके अंतर्गत लचीलापन होता है।

उपसंहार

क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) त्वरित समाधान के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इस अनुसंधान का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है तथा इसमें शोधार्थी के स्थान पर शिक्षक प्रोफेसर व प्रबंधक होते हैं। क्रियात्मक अनुसंधान के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समाधान कर शिक्षा का विकास किया जाता है। शिक्षक शिक्षण अधिगम के अंतर्गत आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान क्रियात्मक अनुसंधान द्वारा करता है। क्रियात्मक अनुसंधान का प्रयोग उस स्थान पर किया जाता है जहां पर समस्या उत्पन्न हुई है तथा वही उसका निवारण भी किया जाता है।

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