जब हम शिक्षा के बारे में जानने की कोशिश करते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में यह प्रश्न आता है कि शिक्षा का अर्थ क्या है ?
शिक्षा को हम अलग अलग अर्थों में समझ सकते हैं, जो की इस प्रकार हैं:
1. शिक्षा का शाब्दिक अर्थ –
शिक्षा शब्द लैटिन भाषा के एडुकैटम शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है,
एडुकैटम = प्रशिक्षित करने के लिए
शिक्षा शब्द दो शब्दों ‘ई (E)’ और ‘डुको (Duco)’ के संयोजन से बना है जिसका अर्थ है,
ई = अंदर से
डुको = बाहर खींचो
इन दो शब्दों ‘ई (E)’ और ‘डुको (Duco)’ के संयोजन से एजुकेशन शब्द बनता है जिसका अर्थ है अंदर की शिक्षा को बाहर निकालना । प्रत्येक बच्चा कुछ जन्मजात शक्तियों, क्षमताओं और प्रवृत्तियों के साथ पैदा होता है। इन जन्मजात शक्तियों को बाहर लाने में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान होता है। शिक्षा बालक के अंदर के ज्ञान को बाहर निकाल कर उसे और विकसित करती है तथा हमारे जीवन में उसके महत्व को समझाती है।
हर किसी बालक के अंदर अलग-अलग क्षमताएं होती हैं, कोई गणित में अच्छा होता है तो कोई कला में, कोई खेल-कूद में अच्छा होता है तो कोई पढ़ाई में, हर किसी में कोई न कोई खूबी जरूर होती है तथा शिक्षा उस खूबी को निखार कर उसे और विकसित करने का काम करती है।
कुछ और लैटिन शब्द हैं जिनका अर्थ समान है, जैसे ‘एडुकेर’ और ‘एडुकेरे’ जिनका अर्थ है – ऊपर लाना, नेतृत्व करना और विकास करना आदि।
2. शिक्षा का अर्थ (संकीर्ण)-
संकीर्ण अर्थों में, शिक्षा का उपयोग ज्ञान, विनम्रता और अनुशासन के पर्याय के रूप में किया जाता है। ज्ञान का अर्थ विभिन्न विषयों के ज्ञान और कला एवं कौशल के प्रशिक्षण से है तथा अनुशासन का अर्थ विद्यालयों के माध्यम से बच्चों के व्यवहार और संस्कारों का निर्माण करने से है। शिक्षा के संकीर्ण अर्थ का यह तात्पर्य है की शिक्षा सीमित है, शिक्षा का तात्पर्य केवल विद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा से है जो की किताबी ज्ञान तक सीमित होती है।
3. शिक्षा का अर्थ (व्यापक)-
व्यापक अर्थों में, स्कूल से हमें जो शिक्षा मिलती है वह जीवन भर काम आती है। शिक्षा के व्यापक होने से यह तात्पर्य है कि हम जीवन पर्यन्त शिक्षा ग्रहण करते रहते हैं। शिक्षा विद्यालयों के अंदर के साथ-साथ हमें विद्यालयों के बाहर से भी प्राप्त होती है। शिक्षा की व्यापकता का यह अर्थ है की शिक्षा हम कभी भी कहीं से भी प्राप्त कर सकते हैं तथा यह शिक्षा जीवन पर्यन्त हमारे साथ रहती है तथा कहीं ना कहीं उपयोग में आती रहती है।
शिक्षा की परिभाषाएं
शिक्षा के बारे में कई शिक्षाशास्त्रियों एवं विद्वानों ने लिखा तथा अपनी परिभाषाएं दीं , जो इस प्रकार हैं –
‘विवेकानंद’ के अनुसार-
“शिक्षा मनुष्य में पहले से ही पूर्णता की अभिव्यक्ति है।”
‘सुकरात’ के अनुसार-
‘शिक्षा का अर्थ, सार्वभौमिक वैधता के विचारों को सामने लाना है जो हर आदमी के दिमाग में अव्यक्त हैं। “
‘रवींद्रनाथ टैगोर’ के अनुसार-
“शिक्षा का अर्थ है बच्चे को परम सत्य का पता लगाने में सक्षम बनाना।”
‘याज्ञवल्क्य’ के अनुसार-
“केवल वह शिक्षा है जो एक व्यक्ति को एक वास्तविक चरित्र देती है और उसे दुनिया के लिए उपयोगी बनाती है।”
‘शंकराचार्य’ के अनुसार-
“शिक्षा वह है जो मोक्ष की ओर ले जाती है।”
‘कांट’ के अनुसार-
“शिक्षा वह सभी पूर्णता के व्यक्ति में विकास है जिसमें वह सक्षम है।”
‘एम.के. गांधी’ के अनुसार-
“शिक्षा से मेरा मतलब है कि शिक्षा के द्वारा बच्चे और आदमी के शरीर, मन और आत्मा में से सर्वश्रेष्ठ को आकर्षित करना। साक्षरता शिक्षा का ना तो अंत है ना ही शुरुआत है। यह उन साधनों में से एक है जिससे आदमी और औरत शिक्षित हो सकते हैं। साक्षरता अपने आप में कोई शिक्षा नहीं है।”
‘फ्रोबेल’ के अनुसार-
“शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बच्चा आंतरिक बाहरी बनाता है।”
‘पेस्टलोजी’ के अनुसार-
“शिक्षा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का प्राकृतिक सामंजस्यपूर्ण और प्रगतिशील विकास है।”
‘टी. पी. नन’ के अनुसार –
“शिक्षा बालक की वैयक्तिकता का पूर्ण विकास है, ताकि वह अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के अनुसार मानव जीवन में अपना मूल योगदान दे सके।”
मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा (meaning and definition of Evaluation)
भाषा के सिद्धांत (Theories of Language development)
मापन के स्तर (Levels of Measurement)
शैक्षिक मापन (Educational Measurement)
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grant Commission)
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